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रीढ़ की हड्डी में चोट (स्पाइनल कॉर्ड इंजरी) का इलाज की जानकारी

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रीढ़ की हड्डी में चोट (स्पाइनल कॉर्ड इंजरी) का इलाज की जानकारी

रीढ़ की हड्डी में चोट (स्पाइनल कॉर्ड इंजरी) का इलाज इन हिंदी: लकवा और पोलियो कुछ ऐसे रोग है जिस कारण रोगी चलने फिरने से असमर्थ हो जाता है। ऐसे ही रीढ़ की हड्डी की चोट लगने से भी paralysis हो जाता है जिससे शरीर के प्रभावित अंग काम करना बंद कर देते है। रीढ़ की हड्डी में फ्रैक्चर होने पर नसों पर दबाव आ जाता है जिस कारण बॉडी को पैरालिसिस होने की संभावना होती है जिससे छूने का पता ना चलना, लैटरिंग बाथरूम करने में परशानी आना और पैर ना हिलना जैसी मुश्किलें आती है। दोस्तों अभी तक एलोपैथिक, आयुर्वेदिक और होम्योपैथिक में इस चोट का कोई इलाज नहीं है पर कुछ चीजों का ध्यान रख कर शरीर की खोई हुई ताकत कुछ हद तक वापिस पा सकते है। आज हम जानेंगे स्पाइनल कॉर्ड की इंजरी होने पर कैसे उपचार करे, spinal cord injury treatment in hindi.

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रीढ़ की हड्डी में चोट के इलाज, Spinal cord injury in hindi

 

पैरालिसिस होने के कारण – Paralysis in Hindi

सड़क दुर्घटना में रीढ़ पर चोट लगना स्पोर्ट्स खेलते समय रीढ़ की हड्डी में बंदूक की गोली लगना किसी पेड़ या छत से गिरना कम गहरे पानी में कूदना स्पाइन की बीमारी जैसे टीबी, कैंसर

 

रीढ़ की हड्डी में चोट – स्पाइनल कॉर्ड इंजरी Spinal Cord Injury Treatment in Hindi

 

1. स्पाइनल कॉर्ड इंजरी कमर पर हो तो कमर के नीचे के हिस्से पर इसका असर पड़ता है और अगर गर्दन पर चोट लगी तो हाथों पर भी इसका असर पड़ता है, फिर चोट के बाद दबी हुई नसों से दबाव को हटाने के लिए डॉक्टर आपरेशन यानि के सर्जरी करते है।

2. बहुत से लोगों का सवाल होता है की reedh ki haddi me chot के बाद रोगी कब तक ठीक हो जायेगा। दोस्तों ये इस बात पर निर्भर करता है की चोट की वजह से स्पाइनल कॉर्ड पर कितना असर हुआ है। इस चोट के बाद अधिकतर लोग फिर से चलने फिरने में सक्षम नहीं हो पाते।

3. ये इंजरी 2 तरह की होती है complete injury और incomplete injury.

4. इन्कम्प्लीट इंजरी का मतलब है की स्पाइन नर्व की शरीर के अंगों को सिगनल भेजने की क्षमता पूरी तरह खत्म नहीं हुई है। इसमें रोगी को body sensation और शरीर के कुछ प्रभावित अंगों को हिलाने की ताकत होती है और सही तरीके से physiothearpy से फिर से चलने की संभावना भी होती है।

5. कम्पलीट स्पाइनल कॉर्ड इंजरी में शरीर के अंगों में कोई सिगनल नहीं भेज पाती। इसमें रोगी के चलने फिरने की संभावना बहुत कम होती है।

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स्पाइनल कॉर्ड इंजरी के बाद परेशानियां

अब तक आप ये तो जान गए है की spinal cord की चोट लगने के बाद व्यक्ति को पैरालिसिस हो जाता है पर इसके बाद भी कुछ ऐसी चीजें है जो रोगी को अक्सर परेशान करती है।

 

1. शरीर पर घाव होना – Bedsore

1. हर समय बिस्तर पर लेटने की वजह से रोगी की कमर और पैरों पर जखम होने का खतरा होता है जिसे हम bed sore कहते है जो कई बार गंभीर हो सकते है।

2. इसका प्रमुख कारण है एक ही स्तिथि में लेते रहना और शरीर में छूने का पता ना चलना जिस वजह से जखम होने के बाद दर्द भी महसूस नहीं होता और सही समय पर देखभाल ना करने से ये बढ़ता जाता है।

3. ऐसे में जो व्यक्ति रोगी का ख्याल रखते है उन्हें ही समय समय पर रोगी के पुरे शरीर की अच्छे से जाँच करनी चाहिए ताकि घाव से बचा जा सके।

4. इससे बचने के लिए रोगी को कभी भी एक ही पोजीशन में लम्बे समय तक बैठने और लेटने ना दे व लेटने पर हर 2 घंटे के दौरान करवट बदले और साथ ही हर रोज बिस्तर और कपड़े भी बदले।

5. अगर bedsore हो जाये तो इसके ट्रीटमेंट के लिए सबसे ज्यादा जरुरी है इस पर दबाव ना पड़े।

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2. पैरों में अकड़न आना – Spasm

स्पाइनल इंजरी के बाद शरीर में अकड़न आती है और कई बार पैरों में झटके भी आने लगते है। कई बार रोगी के पैरों को हाथ लगाने से पैर झटका मरने लगता है जिससे कुछ लोगों को ऐसा लगता है की ये ठीक होने के लक्षण है। इसे रोकने के लिए वैसे तो कुछ दवा (medicine) भी आती है पर नियमित एक्सरसाइज से शरीर में होने वाली अकड़न को कम किया जा सकता है।

 

3. यूरिन इन्फेक्शन होना – Urine Infection (UTI)

1. इस चोट की वजह से रोगी खुद से पेशाब नहीं कर पता जिस वजह से ब्लैडर में पाइप डाली जाती है जिससे रोगी को UTI होने का खतरा अधिक होता है।

2. इससे बचना है तो पानी अधिक पिए और पाइप को सही समय पर बदलते रहे। UTI के इलाज के लिए डॉक्टर की सलाह से मेडिसिन ले सकते है।

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रीढ़ की हड्डी में चोट के इलाज – Reedh Ki Haddi Me Chot Ka ilaj in Hindi दोस्तों अभी तक ऐसी कोई भी दवा या ऑपरेशन नहीं है जिससे स्पाइनल कॉर्ड इंजरी का इलाज हो सके । आपने stem cell treatment के बारे में सुना होगा। बहुत से लोग ये ट्रीटमेंट ले चुके है पर कुछ लोगों को केवल sensation में ही फायदा मिल पाया है पर अभी तक कोई पूरी तरह पहले जैसा ठीक नहीं हो सका है। रीढ़ की हड्डी में फ्रैक्चर होने पर सिर्फ फैसिओथेरपी से ही उपचार किया जा सकता है। कुछ लोग होम्योपैथिक और आयुर्वदिक ट्रीटमेंट भी ले रहे है, पर अभी तक हमारे पास इसके परिणाम की कोई पुख्ता जानकारी नहीं है। अगर आप पहले जैसे नहीं हो पा रहे तो भी निराश ना हो आप खुद को इस काबिल जरूर बना सकते की आप अपने सभी काम खुद बिना किसी की मदद के कर सकते है।

 

एक्सरसाइज करना जरुरी है – Physiothearpy

रीढ़ की हड्डी में चोट के उपचार के लिए सबसे जरुरी है हर रोज exercise करना। इस चोट से उभरने और परेशानियों से बचने के लिए नियमित एक्सरसाइज जरुरी है। चोट लगने के बाद शुरुआत में व्यक्ति खुद एक्सरसाइज नहीं कर सकता तो किसी दूसरे की मदद से रोगी के हाथों और पैरों की एक्सरसाइज करनी चाहिए। एक्सरसाइज शुरू करने से पहले डॉक्टर की राय जरूर ले और हो सके तो किसी अच्छे physiotherapist की मदद ले। योग प्राणायाम करना भी अच्छा उपाय है।

 

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दोस्तों रीढ़ की हड्डी में चोट का इलाज, Spinal cord injury ka ilaj in hindi का ये लेख कैसा लगा हमें बताये और अगर आपके पास स्पाइनल कॉर्ड इंजरी के ट्रीटमेंट और घरेलू नुस्खे से उपचार से जुड़े अनुभव है तो हमारे साथ साँझा करे।

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